1.काली मिट्टी - काली मिट्टी को रेगुर मिट्टी भी कहते हैं। इस मिट्टी का निर्माण ज्वालामुखी क्रिया द्वारा निर्मित लावा की शैैैैलो के विखंडन के फल स्वरुप हुआ है। इस मिट्टी का रंग अक्सर काला होता है, इस मिट्टी में नमी धारण करने की क्षमता बहुत अधिक होती हैं। इसमें मैग्निशियम चूना,ऐलुमिनियम की मात्रा अत्यधिक मात्रा में पाई जाती है। वर्षा होने पर यह मिट्टी चिपचिपी सी हो जाती हैं, तथा सूखने पर इसमें बहुत सारी दरारे पड़ जाती हैं। इस मिट्टी का विस्तार दकन के उत्तर पश्चिमी भागों में लगभग 5 लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल पर हैं। इस मिट्टी का विस्तार दक्षिण में गोदावरी तथा कृष्णा नदियों की घाटियों में भी है। । इस मिट्टी में मुख्य रूप से कपास की फसल बहुत अच्छी होती हैं, इसीलिए इसे कपास की काली मिट्टी भी कहा जाता है। इसमें पोषक तत्व बहुत अधिक मात्रा में पाए जाते हैं। कार्बोनेट कैल्शियम मैग्नीशियम फास्फोरस चुना इसके प्रमुख पोषक तत्व है ,ग्रीष्म ऋतु में इस मिट्टी में गहरी दरारें पड़ जाती हैं। इस मिट्टी में मुख्य रूप से गन्ना, मूंगफली, तिलहन चावल, बाजरा ,तंबाकू, सोयाबीन की फसलों का उत्पादन किया जाता है।
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